
”जब कोई आतंकवादी गोली चलाने से पहले पूछता है, “हिंदू हो?” और फिर कहता है, “जाओ मोदी को बता देना”, तब हमला सिर्फ एक इंसान पर नहीं, पूरे भारत की अस्मिता पर होता है।
❝ श्रीनगर की वादियों में खून की नदियाँ, चश्म-ए-गीर हैं अब वो वादियाँ जहाँ कभी सिर्फ बर्फ गिरती थी। ❞
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में दोपहर करीब 1:30 बजे एक भयानक आतंकी हमला हुआ, जिसमें निहत्थे पर्यटकों को टारगेट किया गया। अब तक 28 लोगों की मौत की खबरें सूत्रों से सामने आई हैं, हालांकि आधिकारिक पुष्टि सिर्फ एक की हुई है। लेकिन जो कहानी मंजूनाथ की पत्नी पल्लवी ने सुनाई, वो हर भारतीय के रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी है।
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“हिंदू हो?” — और फिर एक गोली…
शिवमोगा (कर्नाटक) के रहने वाले मंजूनाथ अपने परिवार संग छुट्टियां मनाने पहलगाम गए थे। दोपहर के वक्त अचानक हमला हुआ। पत्नी पल्लवी ने बताया, “आतंकवादी ने नाम पूछा, हिंदू बताया तो गोली मार दी।” ये सवाल नहीं था, ये एक सजा थी – धर्म के नाम पर मौत की।
“जाओ मोदी को बता देना…”
एक आतंकवादी ने ये कहते हुए पल्लवी को छोड़ दिया।
क्या ये हमला सिर्फ एक परिवार की बर्बादी है या फिर एक सीधा संदेश? ये शब्द प्रधानमंत्री मोदी तक तो पहुंच ही जाएंगे, लेकिन भारत के हर नागरिक को भी झकझोरने चाहिए।
गोलियों की बारिश, 17 मिनट की दहशत
घटना करीब 17 मिनट तक चली, जिसमें आतंकियों ने अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया। चश्मदीदों के मुताबिक, ये सुनियोजित हमला था जिसमें 10 से अधिक आतंकी शामिल थे, जिनमें से कई पाकिस्तानी थे। पहलगाम के शांत पहाड़ों में गूंजती चीखें आज भी थमी नहीं हैं।
अब सवाल उठते हैं…
क्या घाटी में फिर से 90 के दशक का काला साया लौट आया है?
क्या टारगेटेड किलिंग को ‘धार्मिक आतंक’ का नया नाम दिया जा रहा है?
“जाओ मोदी को बता देना” – ये एक चेतावनी थी या युद्ध की उद्घोषणा?
सेना का बड़ा ऑपरेशन, जवाब तय है
भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियां इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। पहलगाम को लॉकडाउन मोड में रखा गया है। गृह मंत्री अमित शाह खुद श्रीनगर पहुंच चुके हैं। दिल्ली और जयपुर समेत कई शहरों में हाई अलर्ट है।
प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में रहकर भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं। लेकिन अब सिर्फ नजर नहीं, एक ठोस जवाब चाहिए।
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हम पूछते हैं – कब तक?
कब तक हिंदू नाम पूछकर गोली मारी जाएगी?
कब तक टूरिज्म की जगह टेररिज्म को छूट दी जाएगी?
कब तक एक पत्नी को अपने पति की लाश के साथ तड़पना होगा?
ये हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, भारत के आत्मसम्मान पर है। अब वक्त है – शब्दों से आगे बढ़कर एक्शन का। आतंक का जवाब आतंक की भाषा में ही देना होगा। वरना अगला निशाना कौन होगा – कौन बताएगा?